माँ गंगा परिवार

हमारा संकल्प

स्वच्छ गंगा निर्मल गंगा

सामाहमस्मि ऋक् त्वम् धौरहं पृथिवी त्वम् ।

ताविह सम्भवाय प्रजायाजनयावहै । ।

- बृहदारण्यकोपनिषद् -

हमारी संस्था

इस न्यास की स्थापना वर्ष 2014 मै श्री गौरव गोविन्द त्रिपाठी ने पुरोहित श्रेष्ठ श्री निक्का राम जी स्मृति में की थी

न्यास को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य पुरोहित परम्परा को जन-जन तक तथा समाज सेवा करना है | विदित हो परमश्रद्धेय पुरोहित पण्डित निक्का राम जी ने हरिद्वार में सैकड़ो वर्षो पूर्व पुरोहित परम्परा कि नींव रखी थी जो आज तक विद्ययामान हैं।

वर्ष 2014 से  लगातार माँ गंगा परिवार न्यास (रजि०) ने समाज कल्याण के लिए अनेक कार्य किए हैं |  इन कार्यों को पूर्ण करने में संपूर्ण न्यास मंडल, संरक्षक मंडल एवं समाज के योग्य विद्वानों का सहयोग रहा है | न्यास बिना किसी जाति धर्म, रंग, भेद  के मानव कल्याण  के लिए प्रयत्नशील है |

न्यास के उद्देश्य

01.

— माँ गंगा संरक्षण

माँ गंगा के जल की रक्षा करना तथा माँ गंगा की संस्कृति व दर्शन का प्रचार करना। विश्व भर में माँ गंगा के मंदिरों क़ा निर्माण तथा माँ गंगा की आरती प्रारम्भ कराना।
02.

— तीर्थ परम्परा का पुनर्जीवन

परमश्रद्धेय पुरोहित पण्डित जी की शिक्षा, परम्परा का प्रचार-प्रसार करना | माँ गंगा के तट पर आने वाले यात्रियों को वैदिक कर्मकाण्ड द्वारा उनके समस्त धार्मिक अनुष्ठान विधिवत्‌ रूप से करना एवं करवाना। तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिये रैन बसैंरो का संचालन व.प्रंबन्ध करना।

03.

— पांडुलिपि संरक्षण

प्राचीन पाण्डुलिपि,वंशावलीयों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने का कार्य करना। विशिष्ट रूप से सामवेद का मूल रूप में अध्ययन एवं संरक्षण |
04.

— निशुल्क शिक्षा

किसी भी प्रकार के शिक्षण संस्थानों का निःशुल्क संचालन करना। प्राकृतिक चिकित्सा, रंव्युप्रेशर: ऐंक्युपंक्चर आदि के द्वारा रोग-निवारण एवं इन शिक्षाओं के प्रति जन मानस को जागृत करना।
05.

— तीर्थ विकास

तीर्थों के विकास के लिए शासन की हर सम्भव सहायता करना, जैसे- सीवेज, दूरसंचार, पेयजल सुलभ शौचालय की व्यवस्था आदि।
06.

— गंगा प्रदूषण निवारण

माँ गंगा की पवित्रता एवं स्वच्छता बनाये रखने में शासन की हर संभव सहायता करना। जल व पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार तथा अन्य देशी-विदेशी एजेन्सियों से अनुदानप्राप्त कर कार्य करना।
07.

— अध्यात्मिक शिक्षा

भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षण एवं प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करना जैसे कर्मकांड संस्कार, योग, स्कूल, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा  आदि |

08.

— महिला एवं बाल विकास

बच्चों व महिलाओं की शिक्षा हेतु सम्पूर्ण कार्यक्षेत्र में योग एवं मानव चेतना विकास केन्द्रों को स्थापित करना और बच्चों की शिक्षा व शारीरिक विकास हेतु विद्यालय,कम्प्यूटर केन्द्र, वाचनालय, व्यायामशाला, शिशुपालन केन्द्र एवं देश-विदेशों में केन्द्रीय सरकार एवं प्रान्तीय सरकारों द्वारा प्रदत्त योजनाएं संचालित करना |
09.

— सामाजिक जागरूकता

युवा पीढ़ी के जीवन स्तर को संयमित, नियमित बनाने के उद्देश्य से नैतिक शिक्षा का प्रसार एवं चलचित्र, (सी0डी0) नाट्य एवं लोक संगीत से ओत-प्रोत कार्यक्रमों द्वारा युवाओं में देश-प्रेम का संचार करना व उन्हें गुटखा, मदिरा आदि अभक्ष्य पदार्थों का सेवन न करने के लिए प्रेरित करना |
10.

— मासिक पत्रिका प्रकाशन

राष्ट्र भष्मा हिन्दी संस्कृत एवं अंग्ल भाषा के प्रचर-ग्रसार एवं उन्नति के लिए कार्य करना। योग, ज्योतिष, धर्मशास्त्र आदि प्राच्यविद्याओं को जन-जन में पहुँचानें के माध्यम से हिन्दी,अंग्रेजी व संस्कृत भाषा में मासिक पत्रिका प्रकाशित करना व करवाना।
11.

— गरीब कल्याण जनसेवा

प्राकृतिक एवं दैविय आपदाओं से पीड़ित जनता को सहायता प्रदान करना, एवं उनके आवास तथा भोजनादि की समुचित व्यवस्था करना। गरीब, विकलांग, निर्धन, कुष्ठ रोगी, बेसहारा बच्चों की आवासीय शिक्षा एवं भोजनादि की व्यवस्था करना।
12.

—धार्मिक निर्माण

गऊशाला, पशुशाला, पुस्तकालय, चिकित्सालय, शिक्षण संस्थान इत्यादि का निर्माण करना ज्योतिष वेदान्त आदि विषयों पर व्याख्यान आयोजित करना।

न्यास मंडल

श्री गौरव गोविन्द त्रिपाठी

संस्थापक अध्यक्ष

श्री विकास कुमार शर्मा

संस्थापक सदस्य

गैलरी

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पुरोहित वाक्य

गूढ़ विद्याओं की प्रमुख त्रैमासिक पत्रिका

साहित्य एक ऐसी कला है जिसे मानव को शांति मिलती है और संयम से रहने का सलीका।’’ साहित्य, मनुष्य की मानसिक और सांस्कृतिक विकास यात्रा का महत्त्वपूर्ण पहलू है। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं होता है, बल्कि वह उसे दिशा भी देता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा किए गए कार्यों में सामूहिकता का बोध होता है। यही सामूहिकता की भावना उसे दूसरे प्राणियों से श्रेष्ठ बनाती है, और साहित्य मनुष्य की इस मानसिक और सांस्कृतिक विकास यात्रा का महत्त्वपूर्ण पहलू है। उसकी यह साहित्य यात्रा आज भी अनवरत रुप से जारी है। इस प्रकार सामयिक युग के साहित्य ने समय-समय पर देश में फैले हुए यथार्थ स्थितियों का अंकन कर समाज को सजग रहने का संदेश देते हुए, राष्ट्र की अस्मिता को सुरक्षित रखने का संदेश दिया है।

संस्कृति, संस्कार, सभ्यता, श्रद्धा-भक्ति आदि गुणों के साथ-साथ समुचित साहित्य भी आवश्यक है। इस प्रयास में त्रैमासिक पत्रिका ‘पुरोहित वाक्य’ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है |

यह तन विष की बेलरी गुरू अमृत की खान। सीस दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान ।।

संपर्क करें

माँ गंगा परिवार न्यास

रामगिरी की हवेली, मोती , हरिद्वार
फोन : +91 – 9897016682
ईमेल : maagangaparivarnyas@gmail.com